Saturday, December 11, 2010

एनडीटीवी के मालिक प्रणव रॉय का देश के साथ महाघोटाला?


विपुल कुमार
वरिष्ठ पत्रकार के साथ
आकाश श्रीवास्तव, ११ दिसंबर २०१०।
सरकार अगर इस सच्चाई को ईमानदारी से पता करे और इसकी जांच कराए तो भारत का मक्का कहे जाने वाला मीडिया घराना एनडीटीवी की प्रतिष्ठा की सारी धज्जियां उड़ जाएंगी। ईमानदारी और मीडिया का भीष्म पितामह कहे जाने वाले एनडीटीवी के मालिक प्रणव रॉय का प्रतिष्ठा का नकाब अगर उतरा तो उनका बेईमान चेहरा दुनिया के सामने होगा। एनडीटीवी के मालिक प्रणय रॉय के ऊपर पहले भी चोरी चकारी और बेईमानी का आरोप लगता रहा है। इन्हीं चीजों के खिलाफ प्रणय रॉय के खिलाफ सीबीआई जांच भी हुई थी।लेकिन सीबीआई ने कोर्ट में यह बताकर मामले को रफा-दफा कर दिया कि एनडीटीवी के मैनेजिंग डॉयरेक्टर प्रणय राय के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है।
फिलहाल यह मामला १९९७-१९९८ का पुराना है। वैसे प्रणय रॉय के टीवी चैनल में खुद इनकी खास पत्रकार बरखादत्त के खिलाफ दूरसंचार घोटाले में दलाली करने का आरोप लग चुका है। नीरा राडिया और बरखादत्त के बीच दलाली को लेकर जो सौदा हुआ उस टेप का अंश यू ट्यूब पर अब भी पड़ा हुआ है। कहते हैं चमकती कालीन को अगर उठाकर देखें तो उसके अंदर धूल-धूल ही भरा हुआ होता है। आइए मीडिया के इस घोटाले बाज की दूसरी करतूतों के बारे में भी जानते हैं।
नीरा रडिया विवाद और वित्तीय घोटाले की लहरों में डूबते-उतराते मीडिया मुगल एनडीटीवी पर अब विदेशी पार्टनरों के साथ मिलकर टैक्सचोरी और कारोपोरेट लॉ के साथ खिलवाड़ करने जैसे गंभीर आरोप भी लग चुके हैं। एनडीटीवी ने, साल दो हज़ार छह में एनडीटीवी नेटवर्क पीएलसी के नाम से इंगलैंड में अपनी एक सहयोगी कंपनी खोली। इंगलैंड में खोले गए इस कंपनी का बैलेंसशीट भारत में नहीं भरा जाता था। एनडीटीवी ने अपनी इस सहयोगी कंपनी की मदद से भरपूर पैसा बनाया और अपनी इस भारी-भरकम रकम का निवेश अपने दूसरे चैनलों में उसके प्रचार-प्रसार से किया। एनडीटीवी के सहयोगी चैनलों में, बिक चुके चैनल एनडीटीवी इमेजिन के अलावा, एनडीटीवी लाइफस्टाइल, एनडीटीवी लैब्स, एनडीटीवी कनवर्जेंस और एनजीईएन मीडिया सर्विसेज़ शामिल हैं। इंगलैंड में फलने-फूलने वाली एनडीटीवी की इस सहयोगी कंपनी ने धड़ल्ले से शेयरों की खरीद-फरोख्त की। अभी भी एनडीवी के सारे कारोबारी सौदे एनडीटीवी की इसी सहयोगी कंपनी के ज़रिए की जाती है लेकिन ऐसे सौदों से होने वाले मुनाफे पर भारत सरकार को किसी भी तरह का टैक्स नहीं दिया जाता है।
एनडीटीवी ग्रुप ने अप्रैल दो हज़ार आठ और सितंबर दो हज़ार नौ के बीच आठ सौ चार करोड़ से भी ज्यादा की कमाई की। इसमें नौ सौ बयासी करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम एनडीटीवी ने अपनी झोली में बटोरी। इसमें ज्यादातर कमाई विदेशी संसाधनों के ज़रिए की गई थी। इनमें एनडीटीवी की इंगलैंड और नीदरलैंड की सहयोगी कंपनियां खास तौर पर शामिल हैं। एनडीटीवी नेटवर्क पीएलसी कंपनी का रजिस्ट्रेशन इंगलैंड में किया गया जिसका पता है---Seventh Floor, 90 High Holborn, London, WC1V 6XX
एनडीटीवी के इंगलैंड के इस दफ्तर में ओल्सवांग सोलिसिटर का दफ्तर भी चलता है। ओल्सवांग कोसेक लिमिटेड एनडीटीवी की पीएलसी कंपनी के लिए बतौर कंपनी सेक्रेटरी काम करता है। साथ ही, एनडीटीवी की कई दूसरी कंपनियों के लिए कंपनी सेक्रेटरी का काम करता है। ओल्सवांग होल्डिंग्स और ओल्सवांग एलएलपी के साथ दूसरी कंपनियां भी इसी दफ्तरसे काम करती है। लेकिन एनडीटीवी पीएलसी कंपनी में काम करने वाला कोई कर्मचारी उसका अपना कर्मचारी नहीं है।
एनडीटीवी के इस भारी घोटाले का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इंगलैंड में चलने वाली उसकी कंपनियों से जुड़ी तमाम जानकारियां जैसे बैलेंसशीट, स्टेटमेंट्स इंगलैंड की वेबसाइट्स के अलावा कहीं भी उपलब्ध नहीं है। यही वजह है कि इस घपलेबाज़ी से जुड़ी कई ज़रूरी जानकारियां हासिल करने में मुश्किल आ रही हैं। एनडीटीवी की सहयोगी कंपनी, एनडीटीवी बी-वी एक डच कंपनी है और इस कंपनी के बारे में सिर्फ इतनी ही जानकारी है कि ये एनडीटीवी की एक सहयोगी कंपनी है।
हैरंतगगेज़ खबर ये है कि, साल 2006-2007 में इन तमाम कंपनियों के एकाउंट्स का जिक्र, एनडीटीवी के बैलेंसशीट या सालाना रिपोर्ट में नहीं किया गया है। मजे की बात ये है कि एनडीटीवी ने इसी साल टैक्स में छूट का दावा पेश किया। लेकिन देश के कानूनी प्रावधानों के मुताबिक, सालाना रिपोर्ट के साइन होने के पहले ऐसी किसी छूट का दावा वैध नहीं माना जाता। कानून के मुताबिक, कोई भी कंपनी, करों में छूट का दावा कंपनी एक्ट 1956 के दो सौ बारह (आठ) के तहत कर सकता है।
बाइस मई, दो हज़ार सात को एनडीटीवी के बैलेंसशीट पर साइन होने की बात कही गई लेकिन एनडीटीवी ने चौबीस मई, दो हज़ार सात को यानि दो दिन की देरी से कॉरपोरेट मंत्रालय में नौ सहयोगी कंपनियों के लिए छूट का दावा पेश किया। इनमें एनडीटीवी की सभी सहयोगी कंपनियां भी शामिल थीं। सूत्रों के मुताबिक, एनडीटीवी ने कयास लगाया था कि अकाउंट्स पेपर पर साइन करने से पहले उसे ये छूट हासिल हो जाएगी। लेकिन एनडीटीवी को ये छूट आठ जून दो हजार सात से पहले हासिल नहीं हो पाई।
रिपोर्ट के मुताबिक, कॉरपोरेट मंत्रालय ने जानबूझकर इस घपले की अनदेखी की। कंपनी मामलों के रजिस्ट्रार ने भी एनडीटीवी के इस वित्तीय घपलेबाज़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में सफल नहीं हो पाया। एनडीटावी घोटाले की तह तक पहुंचने के लिए ये जानना दिलचस्प होगा कि इस मीडिया मुगल ने किस तरीके से अपने काम को अंजाम दिया। ये साल 2006-2007 की बात है जब एनडीटीवी ग्रुप ने, कानूनी वैधता के साथ नीदरलैंड में एनडीटीवी बी-वी के नाम से एक कंपनी खोली। एनडीटीवी बी-वी ने बदले में, इंगलैंड में एनडीटीवी नेटवर्क पीएलसी के नाम से दूसरी कंपनी खोली। एनडीटीवी ग्रुप ने एनडीटीवी बी-वी में करीब साढ़े सत्तावन लाख के शेयर्स का निवेश किया और इस तरह एनडीटीवी बी-वी को सौ फीसदी का पार्टनर बना लिया। बदले में, एनडीटीवी बी-वी ने इंगलैंड की पीएलसी को अप्रत्यक्ष पार्टनर कंपनी बना लिया। एनडीटीवी नेटवर्क बी-वी ने करीब साढ़े तैंतालीस लाख करोड़ से भी ज्यादा के शेयरों को इंगलैंड की एनडीटीवी नेटवर्क पीएलसी को बेच दिया। एनडीटीवी के इस कारोबारी लेनदेन की वजह से नीदरलैंड में फलने-फूलने वाली एनडीटीवी नेटवर्क बी-वी पूरी तरह से भारतीय कंपनी के रूप में तब्दील हो हो गया।
एनडीटीवी ग्रुप, देशी और विदेशी सहयोगी कंपनियों के सहयोग और मिली-भगत से भारत में पांच कंपनियां बनाई और उनके नाम पर चैनल भी खोले। इस तरह से 2007 में एनडीटीवी ग्रुप ने एनडीटीवी इमेजिन, एनडीटीवी लाइवस्टाइल, एनडीटीवी लैब्स, एनडीटीवी कन्वर्जेंस और एनजीईएन मीडिया स्रविसेज़ पांच चैनल लॉन्च किया। अगर पार्टनरशिप की बात करें तो इन पांचो चैनल में एनडीटीवी एनजीईएन का जैनपैक के साथ फिफ्टी परसेंट की पार्टनरशिप है। इन चैनल के अलावा एनडीटीवी की, एनडीटीवी न्यूज़ लिमिटेड,वैल्यू लैब्स और एस्ट्रो ऑल एशिया नेटवर्क्स पीएलसी, मलेइशिया पर भी मिल्कियत है।
साल 2006-2007 में भारतीय एनडीटीवी ने, कर्ज़ और स्टॉक ऑप्शन्स या ईएसओपी के नाम पर एक सौ पचहत्तर मिलियन रुपये जुगाडे। हांलाकि रिपोर्ट में ये बात साफ है कि साल दो हजार छह-सात में एनडीटीवी की सालाना रिपोर्ट और बैलेँशशीट में इन सहयोगी कंपनियों के अकाउंट्स या खातों का कोई जिक्र नहीं है। यहां पर एक बड़ा सवाल, सरकार और दूसरी एजेसियों पर ये खड़ा होता है कि ये है कि क्या ये सब सिर्फ इसलिए किया गया एनडीटीवी और उसकी देशी और विदेशी सहयोगी कंपनियों के सारे वित्तीय घोटाले और गड़बड़झाले पर पर्दा डाला जा सके और मीडिया से जुड़े नामचीन हस्तियों को बचाया जा सके....
इकत्तीस मार्च, 2008 के वित्तीय स्टेटमेंट के मुताबिक, एनडीटीवी ने और तेईस मई, दो हज़ार आठ को अपनी सहयोगी कंपनियों के साथ एक शेयर होल्डर्स एग्रीमेंट किया। इन सहयोगी कंपनियों में एनडीटीवी बी-वी, एनडीटीवी बीवी नेटवर्क्स मुख्य तौर पर शामिल हैं। एग्रीमेंट का मकसद था कंपनियों में छब्बीस फीसदी का अप्रत्यक्ष स्टेक हासिल करना जिसे बाद में पूरी तरह डायल्यूट किया जा सके।
अगर इस स्टेक का अगर विनिवेश किया गया होता तो इसकी कीमत मौजूदा रेट के मुताबिक एक सौ पचास मिलियन अमेरिकी डॉलर की होती। बाद में, एनडीटीवी इंडिया ने भारी मात्रा में और कर्ज़ लिया जिससे भारत में मौजूद उसकी कंपनियों के खर्चे का वहन किया जा सके। इस दौरान, एनडीटीवी की इंगलैंड में चलने वाली सहयोगी कंपनी ने भी सौ मिलियन अमेरिकी डॉलर की भारी कमाई की। ये कमाई कन्वरटिबल बॉन्ड्स को प्राइवेट संस्थानों में प्लेस करके हासिल की गई।
कन्टिन्जेंट लाइबिलिटी के तहत एनडीटीवी की तरफ से, साल दो हज़ार सात और आठ में जारी सालाना रिपोर्ट में ये कहा कहा गया कि एनडीवी नेटवर्क पीएलसी ने सौ मिलियन की भारी कमाई की। कंपनी ने साल दो हज़ार बारह में जारी कन्वर्टिबल बॉन्डस् के ज़रिए ये कमाई की। इस बात का जिक्र रिपोर्ट के पृष्ट सड़सठ में किया गया है। इसके साथ एनडीटीवी ने एक अंडरटेकिंग कंपनी से ये कहा कि जब कभी ज़रूरत पड़े तो वो अपनी सहयोगी कंपनी एनएनपीएलसीसी के लिए कॉरपोरेट गारंटी हासिल करे। साथ ही, कंपनियों के बीच शेयरों के विनिवेश से हासिल की जाने वाली रकम का अनुमान बीस से तीस फीसदी तक लगाया गया। लेकिन किन कंपनी के अधिकरियों के साथ ये सारी बातें तय हुईं और तमाम योजनाएं अंजामम दी गईं इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है। इस बीच, अक्टूबर दो हज़ार नौ में एनडीटीवी ने एनबीसीयू के छब्बीस फीसदी शेयरों को फिर से खरीदने की घोषणा की।
दिसंबर दो हज़ार नौ में, एनडीटीवी ने बीएसई को इस बात की जानकारी दी कि एनडीटीवी, अपने चैनल एनडीटीवी इमेजिन के अप्रत्यक्ष स्टेक की बिक्री के लिए एक कंपनी, टर्नर एशिया पैसेफिक वेंचर के साथ सशर्त एग्रीमेंट कर चुका है। पूरे ट्रांजैक्शन की कीमत एक सौ सत्रह मिलियन डॉलर तय की गई है। एग्रीमेंट क मुताबिक, अगर एनडीटीवी के छियालिस फीसदी शेयरों को बेचा जाए तो सड़सठ मिलियन रुपये की कमाई फौरन की जाती है।
साथ ही एग्रीमेंट में, टीएपीवी के साथ पचास मिलियन डॉलर की नई साझेदारी की बात भी कही गई। लेकिन एनडीटीवी ने ये शर्त रखी कि वो शेयर तो जारी करेगा लेकिन एनडीटीवी नेटवर्क पीएलसी, इमेजिन में अपने पांच फीसदी का स्टेक जारी रखेगा। साल दो हज़ार आठ नौ के सालाना रिपोर्ट के मुताबिक एनडीटीवी ग्रुप ने अपनी सहयोगी कंपनियों मे चार सौ करोड़ रुपये का निवेश किया। इसमें, एनडीटीवी इमेजिन में तीन सौ तिरासी दशमलव चार तीन करोड़ रुपये, एनडीटीवी कन्वर्जेंस में चौदह दशमलव छह चार करोड़ रुपये, और एनडीटीवी लाइफस्टाइल में उन्तीस कोरड़ रुपये का निवेश किया गया। हालांकि अभी तक, इस बात की पूरी जानकारी नहीं है कि कौन सी पार्टियां इस पूरी निवेश प्रकिया में शामिल थीं।
इंगलैंड स्थित एनडीटीवी की सहयोगी कंपनी जिसके इमेजिन में काफी शेयर्स हैं, ने साल दो हज़ार नौ में, इमेजिन के वैल्यूएशन को बुलंदियों तक पहुंचा दिया। सात जुलाई, दो हज़ार नौ में एनडीटीवी के भरे फॉर्म दो के मुताबिक, पीएलसी ने इमेजिन के तेरह करोड़ चौसठ हज़ार दो सौ आठ शेयरों को खरीदा। शेयरों की बिक्री से एनडीटीवी ने एक सौ पांच दशमलव नौ आठ करोड़ रुपये की कमाई की। इसमें हर शेयर की कीमत सात सौ छियत्तर रुपये प्रति शेयर थी। ये तमाम खरीद-फरोख्त गुपचुप तरीके से की गई और इससे जुड़ी किसी भी जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया गया।
मसलन�पूरी वैल्यूएशन कैसे की गई, क्यों किसी विदेशी संस्था को इसमें शामिल किया गया, कौन सी कंपनी इस पूरी प्रक्रिया में शामिल की गईं। इस पूरे सौदे के वक्त, बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज में एनडीटीवी के शेयरों की कीमत एक सौ छब्बीस रूपये प्रति शेयर थी। ज़ाहिर है, एनडीटीवी की इंगलैंड की सब्सिडियरी कंपनी ने एनडीटीवी के शेयरों को मौजूदा वैल्यूएशन के मुकबाले छह गुने ज्यादा कीमत पर बेचा।
तीन दिसंबर को भरे गए फॉर्म दो के मुताबिक, ब्रिटिश सब्सिडियरी ने कुल नौ लाख बीस हज़ार छह सौ बत्तीस रुपये के शेयर बेचे। इनमें हर शेयर की कीमत सात सौ अठहत्तर रुपये थी। प्रीमियम के साथ कुल रकम बहत्तर दशमलव पांच सात करोड़ रुपये थी। नवंबर दो हज़ार दस की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका स्थित स्क्रिप्स नेटवर्क कंपनी की, एनडीटीवी लाइफस्टाइल में उनहत्तर फीसदी हिस्सेदारी है जिसकी वैल्यूएशन पचपन मिलियन डॉलर है। दो हजार दस के रिपोर्ट के मुताबिक जब एनडीटीवी पीएलसी ने सौ मिलियन कूपन बॉन्ड को बेचने की घोषणा की तो एनडीटीवी के शेयरों में सात फीसदी की उछाल दर्ज़ की गई। इस तरह एनडीटीवी ने कंपनियों की साझेदारी और शेयरों की खरीद-फरोख्त से भरपूर दौलत कमाई, उसे विदेशों में सुरक्षित रखा, लेकिन इस कमाई का कोई -फायदा एनडीटीवी के शेयरधारकों को नहीं दिया गया।
हमने एनडीटीवी के बारे में जो कुछ लिखा है वह मजह एक अंग्रेजी आर्टीकल का अनुवाद है। इस स्टोरी के लिए आप इस लिंक पर भी जा सकते हैं- http://www.sunday-guardian.com/a/1088
नोट-प्रणव राय और एनडीटीवी के एक दूसरे बड़े घोटाले को हम अगले हफ्ते प्रकाशित करेंगे।

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